लोकतंत्र
लोकतंत्र तभी और मजबूत हो
जब निरंतर होते रहें बदलाव
अन्यथा सत्ताधीश खुद को मान
बैठते हैं भाग्यविधाता का पर्याय
जनता के लिए मुफीद यही कि
वो बदलती रहे सदा सत्ता का केंद्र
ताकि कोई राजनेता खुद को न
मान सके सदा सर्वदा के लिए इंद्र
सत्ता सब नेताओं में पैदा करती है
अजब किस्म का विचित्र अभिमान
यह तभी समाप्त होता जब जनता
चुनाव में हराकर दिखा दे आसमान