लोकतंत्र
” लोकतंत्र ”
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लोगों का
लोगों के लिए
लोगों के द्वारा |
यही तो है…….
लोकतंत्र ||
वैसे तो
वैदिक युग में ही
पनप चुके थे बीज
लोकतंत्र के |
परन्तु……..
वास्तविक आधार बना
हमारा संविधान !
जिसमें आगाज हुआ
लोकतंत्र का ||
हाँ ,सच है ये
हम भारत के लोग !
यही वो वाक्य है–
जो उद्भूत करता है
लोकतंत्र को ||
बहुत से उद्देश्य हैं
इस लोकतंत्र के
जैसे —
प्रभुत्वसम्पन्न !
समाजवादी !
पंथनिरपेक्ष !
लोकतांत्रिक गणराज्य
बनाने के साथ-साथ
सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक न्याय !
स्वतंत्रता !
समानता !
बंधुता !
व्यक्ति की गरिमा
और राष्ट्र की……
एकता और अखंडता !
ये सभी तो हैं !
लोकतंत्र के सात्विक उद्देश्य ||
हाँ !
उपलब्धियाँ भी हैं !
पुरातन भी
और नूतन भी !
आचार भी हैं
नवाचार भी |
संरक्षण भी है
परीक्षण भी |
मूल अधिकारों का
रक्षण भी है !
तो निदेशक तत्वों का
अनुपालन भी |
केन्द्रीकरण भी है
विकेन्द्रीकरण भी |
सशक्तिकरण भी है
संस्कृतिकरण भी |
बहुत कुछ पाया है
लोकतंत्र से हमने
जैसे—
उदारीकरण !
वैश्वीकरण !
निजीकरण !
इत्यादि |
हम जागरूक भी हैं !
जवाबदेह भी !
पारदर्शी भी और
उत्तरदायी भी !!
क्योंकि ?
हमारे पास है !
विश्व का सबसे बड़ा
और सशक्त लोकतंत्र ||
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— डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”