*लोकतंत्र में होता है,मतदान एक त्यौहार (गीत)*
लोकतंत्र में होता है,मतदान एक त्यौहार (गीत)
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लोकतंत्र में होता है, मतदान एक त्यौहार
(1)
घर से निकलें वोट डालने, नर-नारी सब जाएँ
जाति न मजहब के किंचित भी, बहकावे में आएँ
सच्चरित्र ही चुनकर अपने, वोटों से पहुॅंचाएँ
प्रत्याशी ईमानदार को, विजयी सभी बनाएँ
मौका पाँच साल में मिलता, सिर्फ एक ही बार
(2)
सुनो विचारों में किसकी तुम, पाते हो अच्छाई
सोचो किसमें नहीं स्वार्थ की, दिखती नहीं बुराई
ढोंगी क्षुद्र विचारों वाला, करता नहीं भलाई
ढूॅंढ़ो जनता का सेवक वह, जिसमें हो सच्चाई
पैसों का जो लालच दे, उसको देना दुत्कार
लोकतंत्र में होता है, मतदान एक त्यौहार
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा , रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451