लोकतंत्र का सफर।
आज भी हमारे भारतवासी मानसिक रूप से गुलाम है।८०/ लोग आज भी अपने देश में गुलाम बन कर जी रहे हैं।आज भी उनका लगातार शोषण जारी है।आज आम आदमी बड़े लोगों के हुक्म का गुलाम बना हुआ है।इतनी स्वतंत्रता ही नहीं,कि ।वह अपने ऊपर हो रहे जुर्म का सही विरोध कर सकें।वह सच्चाई बताने से भी डरने लगा है। क्योंकि उसे मालूम है कि गरीब का साथ कोई नहीं देगा।उसका कानून से भी भरोसा उठ गया है। इसलिए वह अपने ऊपर हो रहे जुर्म को भी चुपचाप सहन कर लेता है।और न्याय ईश्वर के भरोसे छोड़ देता है।यह दशा भारत में रह रहे उन गरीब परिवार की।
गांधी जी जो सपना देखा था,वह टूट टूट कर चूर हो गया है।
लेकिन दुहाई अभी भी जारी है।दौ सौ बर्ष गुलामी की पीड़ा भोगने के बाद एक गांधी जी पैदा हुए थे। उन्होंने ही गुलामी को बहुत ही
पास से देखा था। इसलिए ही वे देश को आजाद कराना चाहते थे। लेकिन खुद गांधी जी आजादी का सुख नहीं भोग पाये।
भारत की जो संस्कृति की नींव रखी गई थी,जो लोग अलगाववादी थे वो समाज में अलगाव चाहते थे। भारत देश एक समाज प्रधान देश था। इसलिए हम आजादी के महत्व को नही समझ सके। इसलिए हमारी कमजोरी अंग्रेजों के हाथ चली गई।और अंग्रेज
हमारी कमजोरी का फायदा उठाने लगे। लेकिन भारत वासी इस बात से बिल्कुल अनभिज्ञ थे।कि एक दिन ये लोग हमें गुलाम बना लेंगे। भारत देश के लोगों को जगाने का जो संघर्ष गांधी जी ने किया था, उनके साथ साथ जो लोग साहसी थे ,वे साथ देने लगे।
और उन्होंने अपने प्राणों का मोह छोड़ कर भारत की जनता को सच्चा साथ दिया। और भारत देश लोकतंत्र की स्थापना कर सका। लोकतंत्र में शामिल लोग राजतंत्र से निकल कर आये थे।वे लोग ही लोकतंत्र में शामिल हो गये। उन्होंने अपना अपना दल बनाना शुरू किया।यह लोकतंत्र जनता के हितों के लिए सर्व जन सुखाय की भावना लिए था। लेकिन हमारे राजनैतिक दलों का व्यवहार जनता के पृति बहुत उदासीन भरा था।आज जन के लिए
लोक, राजतंत्र जैसा अनुभव कर रहे हैं। हमारे नैतिक मूल्यों में भारी गिरावट देखी गई है। आदमी एक शैतान की तरह जिंदगी जीने लगा है।आज जो भी कानून बनता है उस सही तरीके से पालन नही हो पाता है।