लॉक डाउन और बच्चे
लॉक डाउन से बच्चों को हुआ बड़ा नुकसान ,
घर में रह रहकर बेचारे हो गए बड़े परेशान ।
खेलना कूदना बंद हुआ,दोस्तों से मिलना भी
पढ़ पढ़ के जी ऊब जाए तो कैसे करें मनोरंजन ?
पढ़ाई भी अब बोझिल हो गई ,बढ़ गई उलझन,
कभी सर्वर न मिले तो कभी इंटरनेट कनेक्शन ।
सारा दिन बैठे बैठे कमर इनकी दुख जाया करती ,
मोबाइल और लैप टॉप पे भी गढ़ाकर रखते है नयन।
नयनों का तो मत ही पूछिए क्या हाल हो रहा है ,
धुंधला दिखने लगा ,दर्द बढ़ा और भर आए नयन।
रूबरू पढ़ने और इंटरनेट से पढ़ने में फर्क होता है,
कुछ विषय होते है सरल,कुछ में होता व्यवधान।
उस व्यवधान को दूर करने हेतु शिक्षक से संपर्क करें,
मगर कभी तो समस्या सुलझ जाए कभी बड़े उलझन।
पढ़ाई से विश्राम पाने हेतु कुछ देर दिल बहलाना चाहे ,
तो मम्मी पापा पढ़ने को टोक टोक के कर दें परेशान ।
अभी देखो परीक्षाएं बंद कर सरकार ने किया घोटाला ,
सबको उत्तीर्ण करके कर दिए गधे घोड़े एक समान।
जिन्होंने पढ़ पढ़ के आंखें लाल कर ली उनका क्या ?
वो मौज उड़ा रहे जिन्होंने नहीं किया जरा भी अध्ययन
वैसे सरकार भी करती भी क्या बेचारी मजबूर थी ,
करोना की वजह से स्कूल भेजना नही था आसान ।
करोना से तो बच गए मगर अस्वस्थ तो फिर भी रहे,
नेत्र समस्या,शारीरिक पीड़ा और मोटापे से हुए परेशान
अब यह तो अभिभावकों का फर्ज हैं रखे अनुशासन,
अध्ययन , विश्राम ,मनोरंजन में रखते उत्तम संतुलन ,
कुछ कसरत करवाते और रखते खान पान का ध्यान।
फिर बच्चों को लॉक डाउन से कभी न होता नुकसान।