लॉकडाउन
शुक्रियादा करो लॉकडाउन का,
इसने हमें बहुत कुछ सिखाया है।
एक रेस बन चुकी थी जिंदगी,
सब सरपट दौड़े जा रहे थे,
सुकूँ ही नहीं था पल भर के लिये,
थकते हुए हांफकर दिन बिता रहे थे,
शुक्रियादा करो लॉकडाउन का,
इसने जीवन में कुछ ठहराव लाया है।
अपनों के लिये जी रहे थे सब यहाँ,
फिर भी अपनों के लिये वक्त ही न था
खोये रहते थे सब अपने काम में ही,
साथ रहने की खुशी का पता ही न था,
शुक्रियादा करो लॉकडाउन का,
इसने अपनों को अपनों से मिलाया है।
मॉल में घूमना और बाहर का खाना,
झूठी शान-शौकत में समझते शान थे,
घर का बना खाना भी भाता है सबको,
पहले सादगी में मिली सन्तुष्टि से अनजान थे
शुक्रियादा करो लॉकडाउन का,
इसने हमें संयम से रहना सिखाया है।
यह वक्त भी गुजर जाएगा जल्दी ही,
फिर से वही पुराने दिन वापस आएंगे,
इस वक्त ने बहुत कुछ सिखाया है हमे,
इस सीख को हम सदैव अमल में लायेंगे,
शुक्रियादा करो लॉकडाउन का,
इसने हमें एक नया सबक सिखाया है।
By:Dr Swati Gupta