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12 Apr 2022 · 1 min read

*लॉकडाउन शुक्रिया (गीतिका)*

लॉकडाउन शुक्रिया (गीतिका)
——————————————-
(1)
माँजना बर्तन हमें , झाड़ू लगाना आ गया
लॉकडाउन शुक्रिया ,क्या-क्या हमें सिखला गया
(2)
कौन कहता है कि इक्किस दिन मिले आराम के
मारना पोछा रगड़ कर , रोज-रोज थका गया
(3)
जो बँटाया हाथ पत्नी का तो मित्रों ने कहा
धर्म यह पत्नीव्रता का, सब जगह फैला गया
(4)
घुस कर रहे घर में हमेशा , इस वजह से बच गए
वरना जाती चिट्ठियाँ , इनको कोरोना खा गया
————————————————
रचयिता :रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99 97 61 5451

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