लॉकडाउन में न बाहर जाना
लॉकडाउन में न बाहर जाना,
घर में रह दिन-रात बिताना।
झूठों का मुँह हुआ है काला
कौन देता दीनों को निवाला
बंद हुआ ऑफिस में ताला
बीवी से पड़ गया है पाला
मुश्किल है इनसे बच पाना
लॉकडाउन में न बाहर जाना।
बह रहीं हैं स्वच्छ हवाएँ
शांत हुई चहुंओर फिंजा़एँ
नदियाँ मधुर-मधुर सुर गाएँ
जीवन क्या है ? हमें सिखाएँ
प्रकृति को सबने पहचाना,
लॉकडान में न बाहर जाना
शहरें सब वीरान पड़ी हैं
दुकानें भी बंद पड़ी हैं
महामारी निर्लज्ज अड़ी है
संकट की ये कैसी घड़ी है
घर में रहकर समय बिताना,
लॉकडाउन में न बाहर जाना।
असली चेहरे पड़े दिखाई
दाढ़ी-बाल न काटे नाई
पड़े-पड़े काया अलसाई
भय लागे देखत परछाई
फिर भी सबको है समझाना,
लॉटडाउन में बाहर न जाना
दारु की दुकान बंद है
मेकअप का सामान बंद है
सेल्फी का अब काम बंद है
इश्क का भी जाम बंद है
मोबाईल के सब हुए दीवाना,
लॉकडाउन में न बाहर जाना।
बिना काज जो बाहर जाएँ
पुलिस उनको ढंग से समझाएँ
भिन्न-भिन्न करामात दिखाएँ
फिर भी मूढ़ समझ न पाएँ
हे ! ईश्वर अब तुम्ही बचाना,
लॉकडाउन में न बाहर जाना
घर में रह दिन रात बिताना।