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21 Jul 2020 · 1 min read

लॉकडाउन में ट्रेन की पटरी

मैं तो हूं एक ट्रेन की पटरी
चार माह से तेरे राह में तरसी
तेरे बिन लगती एक सूखी लकड़ी
ये हम साथी तु कहां गया है
नजरें तेरी चाह में तरसी
आंसू नदी की धारा बरसी
आजा मेरे मीत तु आजा
आके तु एक झलक दिखाजा
तु जब मुझपे चलता था
आनंद मुझे बहुत आता था
जिधर से भी तु जाती थी
खटपट की आवाज सुनाती थी
जब तु स्टेशन को आती थी
लोग एलर्ट हो जाते थे
स्टेशन पर जब रुक जाती थी
लोग जोरों से तुझमें घुस जाते थे
जब समय हो जाता था
दो हॉर्न देके चली जाती थी
मैं तो हूं एक ट्रेन की पटरी
चार माह से तेरी राह में तरसी

संजय कुमार✍️✍️

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 378 Views
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