ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
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सफर में चाहते खुशियॉं , तो ले सामान कम निकलो
अधूरी ख्वाहिशें हैं तो भी, घर पर छोड़ गम निकलो
यहॉं पर रोज ही मौसम, बदलते रंग रहते हैं
रहो भीतर से खुश हरदम, भले ले ऑंख नम निकलो
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रचयिता ः रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर
मोबाइल 9997 615 451