Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Nov 2021 · 1 min read

ले ले परंपराएं अपने साथ __ कविता

“आधुनिकता” के मेले में नशा ये सब को कैसा चढ़ा।
छोड़ के सारी “परंपराएं” बिन सोचे ही आगे बढ़ा।
छूट गए और टूट गए वे “संस्कार” जो बड़े प्यारे थे,
बात बात में अब तो तू हर किसी से जब चाहे लड़ा।।
नहीं नहीं यह अच्छी बात,ले ले परंपराएं अपने साथ
माना नया जमाना है यह क्यों न तू जाना है।
” प्रेम” ही अनमोल खजाना, छोङके धन तो जाना है।।
आजा आजा मन को समझा मन मानी नहीं करना है।
भटकाए जो समाज को अपने ऐसे कर्मों से डरना है।।
निभा ले तू तो सबका साथ हो न जाए जीवन की रात।
**यही यही है अच्छी बात ले ले परंपराएं अपने साथ**
राजेश व्यास अनुनय

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 467 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुंए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है
कुंए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है
शेखर सिंह
चलना था साथ
चलना था साथ
Dr fauzia Naseem shad
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
Raazzz Kumar (Reyansh)
* जिन्दगी में *
* जिन्दगी में *
surenderpal vaidya
हमनवा
हमनवा
Bodhisatva kastooriya
*बंगाली समाज द्वारा दुर्गा पूजा उत्सव*
*बंगाली समाज द्वारा दुर्गा पूजा उत्सव*
Ravi Prakash
पेपर लीक का सामान्य हो जाना
पेपर लीक का सामान्य हो जाना
आनंद प्रवीण
बाहर निकलने से डर रहे हैं लोग
बाहर निकलने से डर रहे हैं लोग
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
शिकस्त मिली ओलंपिक में उसका कोई गम नहीं ,
शिकस्त मिली ओलंपिक में उसका कोई गम नहीं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
हमने माना कि हालात ठीक नहीं हैं
हमने माना कि हालात ठीक नहीं हैं
SHAMA PARVEEN
नशा रहता है इस दर्द का।
नशा रहता है इस दर्द का।
Manisha Manjari
"विशिष्टता"
Dr. Kishan tandon kranti
नशा
नशा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शिक्षा का उद्देश्य भूल गए, नव छात्र ये कर्म भूल गए
शिक्षा का उद्देश्य भूल गए, नव छात्र ये कर्म भूल गए
Dr.Pratibha Prakash
बहकते हैं
बहकते हैं
हिमांशु Kulshrestha
यें जो तेरे-मेरे दरम्यां खाई है
यें जो तेरे-मेरे दरम्यां खाई है
Keshav kishor Kumar
सहारे
सहारे
Kanchan Khanna
पापी करता पाप से,
पापी करता पाप से,
sushil sarna
*राम स्वयं राष्ट्र हैं*
*राम स्वयं राष्ट्र हैं*
Sanjay ' शून्य'
'ਸਾਜਿਸ਼'
'ਸਾਜਿਸ਼'
विनोद सिल्ला
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
Ranjeet kumar patre
धर्म सवैया
धर्म सवैया
Neelam Sharma
झूठों की मंडी लगी, झूठ बिके दिन-रात।
झूठों की मंडी लगी, झूठ बिके दिन-रात।
Arvind trivedi
जय श्री राम
जय श्री राम
goutam shaw
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मुहब्बत का इज़हार मांगती ज़िंदगी,
मुहब्बत का इज़हार मांगती ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Try to find .....
Try to find .....
पूर्वार्थ
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
Shweta Soni
शान्ति कहां मिलती है
शान्ति कहां मिलती है
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...