!! ले दामिनी तेरा फैसला !!
दामिनी न्याय तो तुम को मिला
पर दरिन्दोन को नहीं कोई गिला
उपर से लचर है न्याय व्यव्स्था
इस फ़ैसले पर उन को नहीं शिकवा…
साल दर साल गुजर कर आया ये
फ़ैसला जब बेहाल हो गयी दुनिया
तुझ सी न जाने कित्नी अब्ला
खोज रही कब होगा उनका फ़ैसला…
वक्त तब था जब तूरन्त होता फ़ैसला
दुनिया में खोफ़्फ़ होता कोर्ट का
चढा देते उसी वक्त इन्को फ़ान्सी पर
तब सब की नजर में सही होता फ़ैसला….
पाल पाल कर अपराधी को जेल भर रही
सबूत सबूत बस कोर्ट कर रही
मरने वालोन का परिवार बेहाल हो रहा
जज और वकील को सबूत नहीं मिल रहा…
क्यूँ नहीं होते हैं फ़ैसले उसी वक्त
क्यूँ पल रहे हैं ये इन वकीलों की आगोश में
क्यूँ सरोकार है मुलाजिमो से इनका
क्यूँ परेशान हैं न्याय के लिए दुनिया में.. लोग..
अजीत कुमार तलवार
मेरठ