‘ले चल पार ‘
पार मोहे लेकेे चल,
आस मोहे देके चल।
पतवार खेके चल,
पाँव नाव टेके चल।।
चल मांझी पार चल,
नौका को उतार चल।
धार को निहार चल,
ले समीर सार चल।।
भव सिंधु तार चल,
मुक्ति की किनार चल।
मोह को बिसार चल,
राम को उचार चल।।
चेत जाग-जाग चल,
चक्र देख भाग चल।
माया जाल दाग चल,
भ्रम मति त्याग चल।।
लेखिका-
गोदाम्बरी नेगी