*ले औषधि संजीवनी, आए रातों-रात (कुछ दोहे)*
ले औषधि संजीवनी, आए रातों-रात (कुछ दोहे)
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1
खाए भैंसे पी गया, मदिरा घड़े अनेक
कुंभकरण राक्षस-महा, सौ पर भारी एक
2
यज्ञ नहीं कहिए इन्हें, यह थे घातक रोग
आहुति देते थे रुधिर, भैंसे राक्षस लोग
3
पुत्र गया भ्राता गया, आधी सेना नष्ट
अभिमानी लंकेश ने, जाना तनिक न कष्ट
4
समझाती मंदोदरी, माल्यवान अति नेक
लौटा दे शठ जानकी, रावण सुनी न एक
5
नागपाश से बॅंध गए, देखो प्रभु श्रीराम
रण की शोभा हो गई, क्षण-दो क्षण विश्राम
6
अट्टहास करते दिखे, केवल राक्षस लोग
मूर्ख भयावह कटु हॅंसी, बसता इनमें रोग
7
कालनेमि को जानिए, ढोंगी जपता राम
रोके पथ हनुमान का, रावण का सब काम
8
पोल खुली मारा गया, हनुमत जी के हाथ
कालनेमि कब दे सका, रावण का कुछ साथ
9
लक्ष्मण मूर्छित हो गए, मेघनाद की शक्ति
हनुमत आए काम तब, अनुपम इनकी भक्ति
10
लाए वैद्य सुषेण को, जाकर वेग अपार
धन्य परिश्रम आपका, अद्भुत पवन कुमार
11
पर्वत लेकर आ गए, जड़ से लिया उखाड़
सोचा औषधि क्या कहें, कौन पेड़ या झाड़
12
ले औषधि संजीवनी, आए रातों-रात
वाह-वाह हनुमान जी, वाह-वाह क्या बात
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451