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11 Feb 2022 · 1 min read

लेडीज-मच्छर (हास्य मुक्तक)*

लेडीज-मच्छर (हास्य मुक्तक)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
ठंड का मौसम गया ,चुहिया नजर आने लगी
छिपकली मुँह खोलकर कीड़ों को फिर खाने लगी
नींद रातों की उड़ी इस ही वजह से आजकल
लेडीज – मच्छर कान के पास में गाने लगी
■■■■■■■★■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
242 Views
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