लेख
“शरद के रंग”
सागर का जल शान्त गम्भीर
सारी वस्तुऐं स्वभाविक रूप से
सुन्दर,
आकाश भी जल की भाँति निर्मल
श्याम मेघो का उमड़ना रूक गया है।
दिन मे कड़ी धूप और रात्रि मे स्वच्छ
चाँदनी से थकान से छुटकारा…
बृजभूमि की गोपियाँ कृष्ण विरह के
कारण सदैव दुखी रहती थीं
किन्तु वे शरदकालीन चाँदनी रात मे
कृष्णभावना से भावित होकर
वियोगजनित क्लान्ति को मिटाती थी
और शरद कालिन तारों सी चमकती थी ।
शरदकालीन मन्द उत्तम समीर भी
अत्यन्त सुखद लगते हैं ।
शरद के आगमन मे हीं सरोबरों मे
असंख्य कमल खिलने को आतुर हो जाते हैं ।
खेत पके अन्न से भर जाते हैं ।
लोग फसल से इतने प्रमुदित हो जाते हैं कि
अनेक प्रकार के उत्सव मनाते लग जाते हैं ।
नवान्न या भगवान को नवीन अन्न का भेंट
चढाना,अन्य धार्मिक बिधियाँ ।
दुर्गापुजा नवरात्र दीपावली सबसे बड़ा
उत्सव मनाया जाता है।
वर्षा ऋतु मे रूके हुए काम फिर से शुरू हो जाते हैं ।
सरस – सुकोल – शरद के रंग
प्रमिला श्री