लेख
“”ये आईने में जो मुस्करा रहा है मेरे होठो के दुख को दोहरा रहा है मेरी मर्जी में उसकपर जो कुछ भी लुटाउ तुम्हारी जेब से क्या जा रहा है””
“”ये आईने में जो मुस्करा रहा है मेरे होठो के दुख को दोहरा रहा है मेरी मर्जी में उसकपर जो कुछ भी लुटाउ तुम्हारी जेब से क्या जा रहा है””