कविता
तेरे भीतर की खामोशी को, मैं पहचान जाता हूं
तेरे भीतर की रवानी को, भी पहचान पाता हूं।
तुझे देखते ही भर गई मेरी आंखे,
तू मेरे दिल में है, मैं हमेशा जान जाता हूं ।।
तेरे भीतर की खामोशी को, मैं पहचान जाता हूं
तेरे भीतर की रवानी को, भी पहचान पाता हूं।
तुझे देखते ही भर गई मेरी आंखे,
तू मेरे दिल में है, मैं हमेशा जान जाता हूं ।।