लेखन पर दोहे
लेखन है इक साधना, नहीं हवा में तीर
बिरले ही बनते यहाँ, तुलसी सूर कबीर
कविताओं की चोरियाँ, हुई बहुत अब आम
और खरीदी जा रहीं, ऊँचे देकर दाम
अब देखो होने लगा,लेखन का व्यापार
करके बस सुर साधना, पाई ख्याति अपार
31-01-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद