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4 Aug 2021 · 1 min read

लेखनी

डा. अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त

कलम को तीखा बनाया और तब कागज पर चलाया
स्याही सूखी उसी पल भाव बिखरे कुछ लिख न पाया ||
शब्द शब्द सिंचन किया बैठ अकेला था भजन किया
फिर देख लेखनी शैलजा- कोमल मन आहत हुआ ||

Language: Hindi
1 Like · 255 Views
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