लेखनी कहती यही है
गीत..
लेखनी कहती यही है सत्य लिखना चाहिए।
है अगर कानून तो कानून दिखना चाहिए।।
हो सुरक्षित बेटियाँ पूरी तरह अब देश में।
घूमने पायें नहीं वहशी किसी भी वेश में।।
सख़्त अति इनके लिए आदेश होना चाहिए।
है अगर कानून तो कानून दिखना चाहिए।।
सीसियों में बेंचते हैं लिख दवाई जो जहर।
ढूँढियेगा वो मिलेंगे आपको अपने शहर।।
यह बड़ा अपराध इनको दंड मिलना चाहिए।
है अगर कानून तो कानून दिखना चाहिए।।
कर रहे समता कलंकित द्वेष हिंसा घोलकर।
भर रहे उन्माद मन निर्भय हुए मुँह खोलकर।।
इस तरह उद्घोष पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
है अगर कानून तो कानून दिखना चाहिए।।
कर रहे शासक प्रताड़ित भ्रष्टता में चूर हो।
दंश सहने के लिए जनता जहाँ मजबूर हो।।
सम्मुखी सरकार को भी न्याय करना चाहिए।
है अगर कानून तो कानून दिखना चाहिए।।
लेखनी कहती यही है सत्य लिखना चाहिए।
है अगर कानून तो कानून दिखना चाहिए।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)