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19 Nov 2017 · 1 min read

” ———————————- लेकर मद के प्याले ” !!

आंखों में क्यों प्रश्न उभरते , लगे हंसी पे ताले !
कब तक देंगें कठिन परीक्षा , खुशी चाहने वाले !!

रंग बिरंगे परिधानों में , रंग खूब निखरा है !
रंगों की महफिल में डूबे , हम जैसे मतवाले !!

अलकें बिखरी और अदाऐं , तुमको कहाँ पता है !
अनजाने से क्यों बनते हो , लेकर मद के प्याले !!

हरियाली चूनर ओढ़े हो , हलचल है मदमाती !
खुशबू के बहते धारे है , हम मौजी दिलवाले !!

झूंठा गुस्सा रास न आये , हठ है इसके पीछे !
चेहरे के भाव बतलाते , चाहे हंसी छिपा ले !!

रहा रूठना और मनाना , जीवन भर चलना है !
दो पल आये हैं हिस्से में , अवसर आज न टालें !!

बृज व्यास

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