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11 Jun 2022 · 1 min read

लूटपातों की हयात

भारत में लूटपातों की अदद
एक – दो न बीस – इक्कीस
इसकी अदद विपुल वृहत्
इस निरुपम से खलक में
लूटपातों की हयात जग में
बड़ी वेदना पूर्ण भरी होती
वो कैसे स्वजन कार्यों को
देते होंगे अंजाम भव में ?
मेरा मानस सोच सोचके
सहृदय निज दग्ध हो जाती
हर वक्त- वक्त लूटपातों को
सतत सावधान रहना पड़ता।

लूटपातों की सुकुमार हयात
उनकी भी क्या होगी जिंदगी ?
कितने कष्टों , दुःखो से भरी
लूटपाटों करने वाले का चित्त
ए-दिवा वो भी भला इंसा होगा
उसका त्रुटि पूर्ण परिवेश ही
उस मनुजों, मनुष्य को वैसा
बना देती लुटेरा, चोर, डकैत
जब वह नादुरुस्त डगर का
कर रहा होगा इंतख़ाब इसका
उसको कोई भी स्वजन, दूजा
अक्ष न आता होगा इस भव में।

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

Language: Hindi
249 Views

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