लूटपाट उद्वर्धन
आजकल के इस दौर में
उद्वर्धन जा रही लूटयात है
एक – दो ना होते लोक में
लूटपाटों की अदद असीम |
लूटपाट करने वाले मनुज ,
ना जीते क्षिति पर विपुल ,
जैसे- जैसे अपराध उद्वर्धन ,
वैसे – वैसे ही हयात वाकया।
लूटपाट की इस अनूठी हयात में ,
दरिद्रों का नसैनी दुस्साध्य है ,
हम मनुजों को साहचर्य मिलकर ,
लूटपाटों का विद्यमानता मिटाकर ,
दरिद्रों को प्रभुत्व दिलवाना होगा।
दरिद्रों की लेकर अभिशाप ,
स्वजनों को कुख्यात कर ,
नरक में सदैव दग्धते वह ,
वही लूटपाटी मनुज होते।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या