लुप्तप्राय हो रही सामाजिकता
१.
लुप्तप्राय हो रही सामाजिकता
अस्तित्वहीन होती भावनाएं
स्वयं को ढूंढती संवेदनाएं
हे परमात्मा सत्मार्ग दिखा हमको
२.
लज्जित होते आधुनिक विचार
दुर्लभ होते सुविचार
चल रही आधुनिकता की बयार
लुप्त हो रहे संस्कार
१.
लुप्तप्राय हो रही सामाजिकता
अस्तित्वहीन होती भावनाएं
स्वयं को ढूंढती संवेदनाएं
हे परमात्मा सत्मार्ग दिखा हमको
२.
लज्जित होते आधुनिक विचार
दुर्लभ होते सुविचार
चल रही आधुनिकता की बयार
लुप्त हो रहे संस्कार