लिलि रे “””श्रद्धांजलि!”””””””””
जन्म: 26 जनवरी 1933
जन्म स्थान: रामनगर, पूर्णिया जिला
पुण्यतिथि – 03फरबरी,2022)
(लिली रे के रचना संसार व छोट छिन जिवनी )
समान आ पुरस्कार
* मरीचिका उपन्यासपर साहित्य अकादेमीक १९८२ ई. मे पुरस्कार आ पहिल प्रबोध सम्मान 2004 सँ सम्मानित आदि बहुत रास सम्मान ।
प्रकाशित प्रमुख पोथि–
मैथिलीमे लगभग दू सय कथा आ पाँच टा उपन्यास प्रकाशित । विपुल बाल साहित्यक सृजन। अनेक भारतीय भाषामे कथाक अनुवाद-प्रकाशित।
मैथिली साहित्य परंपरा के जीवंत करैये मं पुरन स्थानक दुलरि लिली रे के जीनगी पूर्णिया में शुरू भेल व पुण्यकोटि दिल्ली मे। मातृगृह प्रसिद्ध मैथिली साहित्यकारक गाम पूर्णिया जिला(रामनगर ) तत्कालीन राज्य परिवारमे जन्म लेनिहार लिली रे अपन लेखनी में सेहो एहि इलाका स अपन हृदयस्पर्शी संबंध देखबा में अबैत रहलीह। ओ मात्र १३ वर्षक उमेरमे एहि स्थानसँ विदा भऽ ऐलिह विवाह बाद । जखने हुनक अंतिम संस्कारक समाचार भेटल ओहि दिन ओहि ठाम बैसुंध जेहन रहि ओ दिन अंधकार रहल । 28 जनवरी 1945 मे कटिहार जिला क दुर्गागंज निवासी प्रसिद्ध मैथिली साहित्यकार डॉ. हरेन्द्र नारायण राय सँ विवाह होइत ,जनक विदेह सहसे आगु बढ़ैए प्रकाट्य भेलि सम्पूर्ण गुँजल गजल जेना वाहे वाह सगर । ओ स्थायी रूपसँ पश्चिम बंगालक सिलिगुड़ीमे रहैत रहथि बहुते दिन धरि । पतिश्री डाक्टर रहितो ,मैथिल कर्तव्य निभेउला दुनिया जेहन । एम्हर दुनू बेटा मे जेठ प्रोफेसर रविन्द्र नारायण रे दिल्ली के जेएनयू मे काज क रहला . कोसीक कातक प्रसिद्ध लोक श्री प्रकाश वत्स,सहनाज हुसैन,मुख्तार आलम व अरविंद कहैत छथि –कथाकार फनीश्वरनाथ रेणुक व महाकवि लछ्मीनाथ आ राजकमल माटि एकटा आओर इजोत गमा लेलनि । हिमकर मिश्र कहला जे लिली रे हुनकर मौसी हथि । हिनक पूर्वज मूलतः मधुबनी जिलाक लालगंजक निवासी रहथि प्राचीन पंडुलिपि अनुसार मुदा ई एकटा हमर मंतव्य आ सार्थक साक्ष हमर , जाहिक दोसर दृष्टि सेहो । जन्म के बाद सेहे रामनगर राज्य राज्य में हुनकऽ हिस्सा में आबी गेलै आरू हुनकऽ दादा यानी लिली रे के पिता भीमनाथ मिश्र अतह आबी गेलाह । आपन व्यक्तित्व. धनि भीमनाथ मिश्र प्रशासनिक सेवा अधिकारी रहथि ।
श्री मिश्रा के अनुसारे हिनका मौसिक बचपन सँ पढ़य-लिखय के शौक रहल. विवाहक बाद मौसी जखन सासुर जा रहल छलीह तखन एक डिब्बा मे मात्र किताब आ अन्य सामग्री सैंतलि । भाव के जीबैत लिली रे के लेखन यात्रा 1953 में शुरू भेल आ 1982 में प्रसिद्ध उपन्यास मरीचिका के लेल साहित्य अकादमी पुरस्कार भेटल । बाद मे पूर्णियाक ओही माटि सँ शास्त्रीय बंगाली साहित्यकार सतीनाथ भादुरी केर अमर कृति जागरी केँ विजिल नाम सँ अंग्रेजी मे अनुवाद कयल गेल जे जर्मनी सहित कतेको देश मे बहुत लोकप्रिय भेल |
देस के मैथिली चर्चित अग्रणी लेखिका
लिली रे आपन जीनगीकाल प्राचीनमे इजोत मैथिली साहित्य के उल्लेखनीय कार्य योगदान देलनि।हुनि रचनामे रंगीन पर्दा आ मरीचिका सबसँ बेसी लोकप्रिय नित सबहक रहल । 1982 मे साहित्य अकादमी द्वारा हिनि उल्लेखनीय कृति मरीचिका लेल सम्मानित कऽ
गौरव बौध्द परिचायक साक्षात ओहिना स्मरण रहत ! हिन्दी आ शोषित मैथिली कोमल कया गौउर बोल बंगला भाषाक अनेक रचनाक अंग्रेजीमे अनुवाद सेहो केने रहथि । एहिमे मुख्य रूपेण पूर्णिया माटि केर शास्त्रीय साहित्यकार सतीनाथ भादुरी केर कृति जगोड़ी केर अंग्रेजी अनुवाद शामिल होइते,अद्भुत अकल्पनीय विजिल केर नाम सँ प्रकाशित भेल । विदेश मे सेहो एहि संवाद केँ प्रतिनिधि कृति केर रूप मे बहुत सराहल गेल जाहि कारण अखनो हिअ बैसल सिय सिनेहि।
हुनिऽ जन्म मधुबनीम॑ २६ जनवरी १९३३ क॑ भेलऽ , तखन पिताश्री पुलिस विभाग केरऽ अधिकारी रूपम॑ काज करैत रहथि । मातृभाषा स्नेह गाम सासुर गृह पूर्णिया जिलाक दुर्गागंज मे रहै ! जे अखन कटिहार जिलाक कदवा प्रखंडमे पड़ैत अइछे कनकै आगु प्राचीन मैथिली डिह | जीनगी-परंपरा काल साहित्ये क्षेत्रमे जे योगदान, ओह अतुलनीय सेहो ।
लिली रे के पहिल खिस्सा रोगिनी रहैए । ई हिनक मैथिलीमे पहिल कृति रहल, जे कल्पना शरण छद्म नाम सँ प्रकाशित भेलैए । ओहिबाद अपन असली नाम सँ बहुत रास कथा आ उपन्यास सेहो लिखलनि । लोकप्रिय उपन्यास सामाजिक वर्जना पर गंभीर हमला होइत रहै । सामाजिक उत्पीड़न के पीड़ा आ बेमेल प्रेम के बाद प्रेमी दंपति के पलायन के कैप्चर करय के कोशिश रहल. मैथिली साहित्यकार सुरेन्द्रनाथ मिश्रक अनुसार वास्तव मे एहि उपन्यासक सभ किछु छायावाद मे लिखल गेल अछि । एकर विषय-वस्तु ओही क्षेत्रक एकटा आओर राजपरिवारक इर्द-गिर्द केन्द्रित रहल |