लिख दूँ
मैं अपना हर दिन तेरे नाम लिख दूँ।
तेरे लिए अपनी दोपहर शाम लिख दूँ।
अब कोई फिक्र न रहे मुझे दुनिया की
मैं तुझे ही अपना हर काम लिख दूँ।
क्या जरूरत अब यहाँ मुझे शराब की
तेरी आँखों के नशे को मैं जाम लिख दूँ।
न कहानी हो कोई न कोई अब छन्द हो
किस्से तेरे नाम के मैं तमाम लिख दूँ।
क्या अदा करूँ तेरा शुक्रिया तू ही बता
मैं अपनी गुलामी को तेरा इनाम लिख दूँ।