**लिखे थे खत हमने तो हजार**
थे नैना जबसे लागे ,हम तुम दोनों ही जागे।
सपने-अपने यह मांगे, बढ़ते गए हम तो आगे।
अरे हो गया तुमसे प्यार, लिखे थे खत हमने तो हजार।।
(१)थी पहली वह मुलाकातें ,अंखियों से करते बातें .
सुनी सुनी फिर वे रातें,हम दोनों ही तो बिताते।
चलाते कलम को बारंबार, लिखे थे खत हमने तो हजार।।
(२)सुबह-सुबह हम जगते, प्रीत के काम में लगते ।
खिड़की से तुमको तकते, डरते डरते थे रुकते ।
कोई देख न ले नर नार ,लिखे थे खत हमने तो हजार।।
(३)दिन कैसे थे वे बीते, मुश्किल से हम थे जीते।
रस प्रेम का ही हम पीते, जख्म इक दूजे के सीते।
पर मानी न अपनी हार, लिखे थे खत हमने तो हजार।।
(४) प्यार होता इक बंधन, धड़के दिल की जब धड़कन।
डूब जाता तन और मन, अनमोल होता यारों यह धन।
अनुनय “प्रेम” जीवन का सार, लिखे थे खत हमने तो हजार।।
(५)युग आया नया नवेला, खतों को परे धकेला।
मोबाइल बना है चेला ,अरे छूट गया वह मैला।
कागज कलम हुए बेकार ,लिखे थे खत हमने तो हजार।।
राजेश व्यास अनुनय
बोड़ा तहसील नरसिंहगढ़ जिला राजगढ़ ( ब्यावरा )मध्य प्रदेश