लिखूं क्या मै मुझे लिखना नहीं आता
लिखूं क्या मै,मुझे लिखना नहीं आता
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लिखूं क्या मै,मुझे लिखना नहीं आता।
दिल टूट गया है,इसे जोड़ना नहीं आता।।
गया था गम भूलाने मै मयखाने मे।
पर गम को मुझे भूलना नहीं आता।।
कोशिश की थी यारो ने मुझे पिलाने की।
मुश्किल ये थी वहां,मुझे पीना नहीं आता।।
दिल के टुकड़े हुए हजार,सब बिखर गए।
मुश्किल है मेरी उनको समेटना नहीं आता।।
मांगता हूं मौत पर, वह भी मुझे मिलती नहीं।
क्या करूं मै अब,मुझे तो मरना नहीं आता।।
उलझ गई है जिंदगी इस कदर अब मेरी।
रस्तोगी को उसको अब सुलझाना नहीं आता।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम