लिखने से रह गये
जीवन में व्यतीत हुए
वह क्षण विशेष थे।
लिखने से रह गये
कुछ पन्ने शेष थे ।।
मन से विरक्त थे
कुछ हमने शेष थे ।
बरसे जो आँखों से
वह मन के कलेश थे ।।
यादों की तेरी आंच से
पिघला हुआ ये मन ।
समझे न हम जिसे।
कुछ मन के द्वेष थे ।।
फर्सत में बैठ कर
विचारा नहीं कभी।
जीवन में कितने
हम हासिल-विशेष थे ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद