लिखने वालों ने!
लिखने वालों ने सब कुछ तो,लिख डाला है।बचा ही क्या है,पर! फिर भी काला काला है।शवेत धवल को धर्म बना, फिर भी काली रातों का रखवाला है। लिखने वाले कवियों ने सब कुछ तो लिख डाला है।कहता तो फिरता है, सफेद सफेद पर!मन में बहुत भेद ।मत भेद लिए ही फिरता है पर! सत्य पर डाला ताला है। लिखने वालों ने सब कुछ तो लिख डाला है।चतुरानन! बनकर फिरता है,कभी उठता, कभी गिरता है। फिर कभी चिल्लाता है। कभी शब्दों को, फिर कभी पोथी उठाता है। फिर पढ़ता, फिर वही बात जो सदियों से दोहराता है।