Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Oct 2024 · 2 min read

लिखना चाहता हूं…

जो बस ठहर सी गई हो चेहरे पर
और रह गई हो आवाज से तन्हा
उन ऑखों में पढ़ी जा सकती हो
जहां पर छिपा हो एक संदेश नन्हा

मैं वो खामोशियां लिखना चाहता हूं…

जो सर्द दर्द को गर्म नर्म बना पाए
बदल के रख दें बर्फ सीधे भाप में
और पत्थर क्या पहाड़ मोम बना दे
फिर भी रखे फूलों सा दिल ताप में

मैं वो गर्मजोशियां लिखना चाहता हूं…

छूट गई जो हजारों-हजार नजरों से
लिखी ना कलमकारों की कलमों से
जो बनी थी कभी दुर्गम सरहदों पे
निशानियां वीर जवानों के कदमों से

मैं वो निशानियां लिखना चाहता हूं…

जो कर दी थी कभी बिना मांगे ही
मिलती गई थी छोटा-सा फर्ज निभाने
जो मेहरबान हुई थी हर नई सांस में
और मिली थी मिट्टी का कर्ज चुकाने

मैं वो मेहरबानियां लिखना चाहता हूं…

वो कोड़े-कालापानी वो काल-कोठरियां
फांसी के फंदों को चूमने की दिलेरियां
वो जजिया वो निरंकुशों की मनमर्जिया
वो दमन-उत्पीड़न वो गुलामी की घड़ियां

मैं वो परेशानियां लिखना चाहता हूं…

जो कभी मिटी थी मिट्टी की आन में
झूल गई थी फंदों पे देश की शान में
जो खेल गई थी भरी जवानी बीच में
सेहरा सजने का सर कटे बलिदान में

मैं वो जवानियां लिखना चाहता हूं…

खा चुके थे कसमें वो दे चुके थे जुबान
बिना नाम-निशान हो गए थे बलिदान
रह गए थें जमाने में हर जगह गुमनाम
जो कर गए थे अपना सब कुछ कुर्बान

मैं वो कुर्बानियां लिखना चाहता हूं…

जो नियति से बने थे अंधे गूंगे-बहरों की
जो नियत से बने थे अंधे गूंगे-बहरों की
उनके पल-पल पोषण शोषण संघर्षों की
बीती दुख-दर्द की दुश्वारियां सारे वर्षों की

मैं वो दुश्वारियां लिखना चाहता हूं…

ये हर पल में गरजती बरसती गोलियां
ये दुनिया से ही मिटा देंगे वाली बोलियां
न लिखूं बम-बारुद गोलों की गूंज कही
जहां ये सिसकते बच्चे भी महफूज नही

मैं वो सिसकियां लिखना चाहता हूं…

जो गवाह बनी हो तमाम विरही रातों की
गठरी बनी हो वो तमाम मीठी बातों की
वो अकेलापन वो दूरियां रिश्तों नातों की
जो पेशगी हो उन नासमझी जज्बातों की

मैं वो तन्हाइयां लिखना चाहता हूं…

जो कर दी गई थी कभी अनजाने में
समझ न आई दुनिया के समझाने में
भावनाओं के भाटा जोश के ज्वार में
कर दी थी गुस्ताखियां जो जमाने में

मैं वो नादानियां लिखना चाहता हूं…

जो कभी भी कही न गई हो जमाने में
ना ही हसरत रखती हो कुछ छिपाने में
जो बन पड़े हो किस्से जाने-अनजाने में
गढ़ती चली हो जिंदगियों के अफसाने में

मैं वो कहानियां लिखना चाहता हूं…
~०~
अक्टूबर २०२४, ©जीवनसवारो

Language: Hindi
1 Like · 26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
View all
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...