लिखना और अविराम है ____ कविता
****आठवां शतक****
इस मंच पर जब से आया।
इसकी सभी विधा में लेखन भाया।।
कभी छंद लिखे __ गजल भी सजाई है।
दोहों _ कविता भी कलम ने मेरी गाई है।।
प्यार मिला है मुझे बहुत ही___
इस मंच के मित्रो से।
जिसने पड़ा _ खूब सराहा,
होंसला बड़ा उन्हीं मित्रो से।।
बंधु _ भगिनी सभी को मेरा प्रणाम है।
आठ सो वी रचना यह मेरी।
लिखना और अविराम है।।
मिलता रहे स्नेह __ प्यार यह बना रहे।
कलम चले चलती रहे लेखन न सूना रहे।।
राजेश व्यास अनुनय