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27 May 2021 · 1 min read

लिखता रहा में दिन रात ____ घनाक्षरी

लिखता रहा मै रात दिन ही कविता मेरी।
सरिता मैंने दिल की पल पल बहाई है।।
रुकता है कोई कोई किसी को तो जमती है।
ध्यान से वह पढ़ता किसी को तो भाई है।।
सबके लिए ही लिखा रहता कभी न रीता।
चाहने वालो की भी तो ,कमी नहीं पाई है।।
यही मेरा तन मन,धन भी तो यही मेरा ।
सारे जीवन की मेरे यही तो कमाई है।।
राजेश व्यास अनुनय

1 Like · 2 Comments · 236 Views
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