लिखता क्यूं हूं
अपनें जज़्बातों को ना किसी से कहता हूं ना ही कोई समझ पाया।
मैं जो अपनें जज़्बातों को लिखता हूं उनसे मेरे दिल के दर्दों का कोई इलाज भी नहीं होता
मगर खुद को समझने,जानने और खुद से लड़नें के लिए सहायक होता है
शिव प्रताप लोधी