लाड़ली दर पे आया तो फिर आ गया
लाड़ली दर पे आया तो फिर आ गया
बाकी दुनियां छलावा समझ आ गया
वृंदावन बृज की गलियां फकीरी भली
ऊँचे महल झूठी शानो से दिल भर गया
चाँद सितारे चमन गुल फीके लगें
लिपटी चरणो की रज देखता रह गया
साँवरा जिनके आगे करे मिन्नतें
उनकी नजरे करम पा निहाल हो गया
M.Tiwari(Ayan)