लाड़ली भोली चिरैया
लाड़ली भोली चिरैया
शहर के भीतर न आना
शहर में झाड़ी नहीं है बैठने को
घास का तिनका नहीं है नोंचने को
है कहाँ सुखसार छैया
हर्ष का बीता जमाना
लाड़ली भोली चिरैया
शहर के भीतर न आना
वायु भी दूषित हुई है धूम्र पीकर
मौत ही साबित हुई है रोग देकर
शहर में चलता रुपैया
रातदिन पैसा कमाना
लाड़ली भोली चिरैया
शहर के भीतर न आना
नीर भी शीतल नहीं है जिंदगी को
चैन भी दो पल नहीं है आदमी को
स्वार्थ का व्यवहार भैया
डालता कोई न दाना
लाड़ली भोली चिरैया
शहर के भीतर न आना
गौरैया दिवस पर आग्रह है गर्मियों में पक्षियों को सकोरे अवश्य रखें।
20/03/2021
(जगदीश शर्मा)