लाहौर तिरंगा देखोगे।
कश्मीर के ताजा हालातों से व्यथित होकर दिल से निकलीं कुछ पंक्तियाँ।
शोर सुनाई देता है अब आदमखोर सियारों का।
फिर वर्चस्व फैल रहा है घाटी में गद्दारों का।।
जला जला कर रोज तिरंगे बड़े चैन से सोती है।
आतंकी मारे जाने पर पूरी घाटी रोती है।।
लेकिन दिल्ली चुप बैठी है इन सारी घटनाओं पर।
मेहरबान दिखती है मुझको आतंकी आकाओं पर।।
भारत माँ की चीखों का शायद इसको अहसास नहीं।
या फिर अपने भुजदण्डों पर दिल्ली को विस्वास नहीं।।
मेरा कहना सिर्फ एक है अब अपने सरदारों से।
क्यों डरते हो दुश्मन के इन चाईनीज हथियारों से।।
एक बार आदेश करो फिर उल्टी गंगा देखोगे।
काश्मीर की बात नहीं लाहौर तिरंगा देखोगे।।
प्रदीप कुमार