लाल दशरथ के है आने वाले
ओ री सखी , जरा आँगन बुहारों
आँगन बुहारो , चलो दुगरा बुहारो
लाल दशरथ के है आने वाले
द्वार दीपों से तुम सजा लो ….
है खुशी की घड़ी , थी प्रतीक्षा बड़ी
कई वर्षों का सपना , पूरा होगा अभी
राम राजा बनेंगे , नजर तो उतारो
लाल दशरथ के है , आने वाले
द्वार दीपों से तुम सजा लो ….
है ये पावन घड़ी , सज रही है बड़ी
पुष्प दीपों से , अवध की गली पे गली
राम मय हो ये तन ,खुद को इतना सवारों
लाल दशरथ के है , आने वाले
द्वार दीपों से तुम सजा लो ….
नीरज मिश्रा “ नीर “ बरही मध्य प्रदेश