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17 Apr 2023 · 3 min read

लापरवाही – कहानी

लापरवाही – कहानी

बघेल जी के घर में प्रिया के जन्म से ख़ुशी का वातावरण निर्मित हो गया | दादा – दादी भी अपनी पोती के आगमन पर फूले नहीं समा रहे थे | बघेल जी सरकारी दफ्तर में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे | पत्नी सुशीला सुसंस्कृत व सभ्य महिला थी | प्रिया चूंकि घर में पहली संतान थी | सो उसके लालन – पालन और पढ़ाई का पूरा – पूरा ध्यान रखा गया | प्रिया के चार वर्ष की होते ही उसका एक बहुत से अच्छे स्कूल में दाखिला करा दिया गया | इसी बीच बघेल जी के घर में एक नए मेहमान का आगमन हुआ जिसका नाम अंशुल रखा गया | अंशुल के जन्म पर घर में उत्साह कुछ अधिक था | अंशुल अपने दादा – दादी का लाड़ला हो गया | वैसे लाड़ली तो प्रिया भी थी | किन्तु छोटे बच्चे से मोह ज्यादा बढ़ने लगा | अंशुल की छोटी – छोटी शरारतों का सभी आनंद उठाने लगे | जैसी परवरिश प्रिया की हुई थी वैसी अंशुल की नहीं हुई | लाड़ – प्यार में धीरे – धीरे अंशुल जिद्दी होता गया | उसकी पढ़ाई पर घर के लोगों ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया यह कहकर कि अंशुल अभी छोटा है | दूसरी ओर प्रिया अपनी पढ़ाई पर पूरा – पूरा ध्यान दे रही थी | अंशुल का जब स्कूल में एडमिशन कराया गया तब उसे अक्षर ज्ञान भी नहीं था और न ही अंकों का ज्ञान |
धीरे – धीरे अंशुल की शरारतें बढ़ती गयीं | पढ़ाई में उसका ध्यान ही नहीं लगता था | आये दिन स्कूल से अंशुल की पढाई को लेकर शिकायतें आना शुरू हो गयीं | शुरू – शरू में बघेल जी के घर के सभी लोग शिकायतों को अनसुनी करते थे | किन्तु जब एक दिन स्कूल के प्रिंसिपल का फ़ोन आया कि आप तुरंत स्कूल आइये | तब जाकर अंशुल की माँ और बघेल जी स्कूल गए | वहां जाकर पता लगा कि अंशुल पढ़ाई में काफी कमजोर है | प्रिंसिपल ने अंशुल के शुरू के समय से लेकर अब तक की दैनिक गतिविधियों की पूरी जानकारी मांगी तो पता चला कि माता – पिता और दादी – दादी की लापरवाही और लाड़ – प्यार की वजह से अंशुल की पढ़ाई पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया | अब प्रिंसिपल ने अंशुल के माता – पिता की क्लास लगाईं | और कहा कि एक साल के भीतर यदि अंशुल की पढ़ाई का स्तर नहीं सुधरता तो हम उसे अगली कक्षा में प्रोमोट नहीं करेंगे | दूसरी ओर प्रिंसिपल ने प्रिया की जमकर तारीफ की |
घर आकर बघेल जी ने सभी को दो टूक शब्दों में समझा दिया कि यदि किसी ने भी अंशुल की पढ़ाई के साथ कोई समझौता किया तो अच्छा नहीं होगा | बघेल जी ने अपने माता – पिता को भी स्पष्ट रूप से समझा दिया कि घर के किसी भी सदस्य को अंशुल कि पढ़ाई को लेकर की गयी लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी | बघेल जी की बातों का घर के सभी सदस्यों पर गहरा असर हुआ | अंशुल की पढ़ाई और खेलने के समय को ध्यान में रखकर एक टाइम टेबल बनाया गया | घर के सभी सदस्य अंशुल पर विशेष ध्यान देने लगे | समय पर खेलना, समय पर पढ़ना और मनोरंजन करना | अंशुल को धीरे – धीरे उस स्तर तक पहुंचाया गया जहां तक पहुँचने के लिए प्रिंसिपल सर ने कहा था | अंशुल जब भी पढ़ाई में कुछ अच्छा करता तो उसे शाबाशी दी जाती ताकि उसे प्रेरणा मिले और आगे भी अच्छा करने हेतु मनोबल बना रहे |
धीरे – धीरे अंशुल भी अपनी बहन प्रिया की तरह पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करने लगा | समय रहते घरवालों की मेहनत रंग लाई | और अंशुल भी स्कूल के होनहार बच्चों में गिना जाने लगा | बघेल जी का घर खुशियों से भर गया |

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