लाचारी
लाचार हो
गयी है
बेबस हो
गयी है
आज
अन्तरात्मा
और उसकी
आवाज
कितना हल्का
बना दिया है
आज इसे
कितना झूठा
बना दिया है इसे
अन्तरात्मा के
नाम पर
माँगे जाते हैं
आज वोट
दहेज
और
रिश्वत
कहते हैं
अन्तरात्मा
से दिया गया
सगुन
पाने वाले को
फलता है
लेकिन
देने वाला
लुटता है
कभी
ईमान से
तो कभी
जान से
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल