लाख दुआएं दूंगा मैं अब टूटे दिल से
कितनी बातें की हैं मैंने अपने दिल से
समझाया है दिल को मैंने किस मुश्किल से
तुमने भी तो मेरे दिल को तोड़ा कैसे
जैसे कोई शीशा फेंके दस मंज़िल से
बिना तुम्हारे मेरा जीना जीना ऐसे
जैसे कोई तेल निचोड़े सूखे तिल से
माना दिल के खेलों में भी थ्रिल होता है
लेकिन अब तुम बाज भी आओ ऐसे थ्रिल से
अच्छा है जो दिल के हैं अब लाखों टुकड़े
लाख दुआएं दूंगा मैं अब टूटे दिल से
-शिवकुमार बिलगरामी