लाख डाउन का इश्क
सुलझाने आ जाओ
तुम तो कहते थे, जान भी दे दूंगा तुझे।
जान नहीं ,एक बार मिलने आ जाओ।।
डरते नहीं हो दुनिया से यही कहते थे तुम ।
लॉक डाउनलोड की दीवार तोड आ जाओ।।
जुल्फें कब से है उल्झी -उल्झी मेरी ।
उलझन और जुल्फें सुलझाने आ जाओ।।
मुझे देखे बिना चैन कहां मिलता है तुम्हें ।
अगर बेचैन हो तो आओ एक बार आ जाओ।।
मेरे होठों की प्यास बुझाने की तमन्ना थी तुम्हें।
तो आओ होठों पर एक बोसा रख जाओ।।
देखते हैं कितनी सच थी मोहब्बत तुम्हारी।
मजनू की तरहा दुनिया से टकरा जाओ।।
वैसे भी तो बिछुड़ कर मर जाएंगे हम।
बाहों में अपनी ले लो और साथ मर जाओ।।
जो डरता नहीं दुनिया के सितमगर हाथों से ।
वो इतना कमजोर नहीं जो कोरोना से डर जाओ।।
मरना लिखा है तो आज मिल कर मरेगें।
पागल ना बनो घर रहो और ख्वाबों में आ जाओ।।
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डॉ.नरेश कुमार “सागर”
26/04/2020