Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2020 · 2 min read

लाक डाउन

अलका बहुत परेशान थी।कुछ समझ नहीं पा रही थी की क्या करें क्या न करें पति की नौकरी भी छुट गई थी पति एक फैक्ट्री में सुपर वाइजर थे मगर लाक डाउन और कोरोना की वजह से फेक्ट्री बंद हो गई थी और कोरोना की वजह से ही वह भी एक माह से काम पर न जा पाई थी वह भी टेलरिंग शाप में सिलाई का काम करती थी ।
दो छोटे बच्चों का भरण पोषण तो करना ही था। बड़े शहरों के खर्चे भी बहुत होते हैं बचत भी न के बराबर होती थी ।थोड़ी बहुत जमा पूंजी थी वो भी खत्म हो गई दुकान दार ने भी उधार के लिए मना कर दिया ।जो थोड़े बहुत जेवर थे वो भी राशन की भेंट चढ़ गए।
कोरोना के कारण कोई और काम भी नहीं मिला ।
इसी तरह बगैर काम के दो माह जैसे तैसे गुजर गए । मगर अब तो कुछ भी नहीं था जिससे खर्च चलता। अब क्या होगा बच्चों को क्या खिलाएगी सोच कर ही रुह कांप रही थी ।
“तभी फोन बजा “टेलरिंग शाप से सर का फोन था ।
अलका तुम एक बार शाप में आ जाओ ।
“जी सर आ जाउंगी” कहा और फोन रख दिया।
अभी अचानक क्यों बुलाया दो माह से काम पर जा न सकी थी इसलिए काम से हटा तो नहीं देंगे । अब इस मुसीबत को भी अभी आना था काफी समय से रुका लावा आंखों के रास्ते बाहर आने लगा ।
“मैं शाप जाकर आती हूं बच्चों का ध्यान रखना” शाप का सटर बंद था। पीछे दरवाजे से अंदर पहुंची तो सर अंदर बैठे थे ।
“आओ अलका मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था “सब ठीक है ना ….ये लो तुम्हारी दो माह की तनख्वाह पर मैं तो काम पर आई ही नहीं फिर …..
सरकार का आदेश है लाक डाउन में काम हो न हो सभी को तनख्वाह देना ही है ।
बहुत बहुत धन्यवाद सर आपने मेरी कितनी बड़ी समस्या दूर कर दी आंखें पुनः भर आई । मगर इस बार आंसुओं के साथ खुशी भी दिखाई दे रही थी ।
========================================
© गौतम जैन ®

Language: Hindi
495 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पलायन (जर्जर मकानों की व्यथा)
पलायन (जर्जर मकानों की व्यथा)
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
अंधेरा कभी प्रकाश को नष्ट नहीं करता
अंधेरा कभी प्रकाश को नष्ट नहीं करता
हिमांशु Kulshrestha
नास्तिक किसे कहते हैं...
नास्तिक किसे कहते हैं...
ओंकार मिश्र
नारी- शक्ति आह्वान
नारी- शक्ति आह्वान
Shyam Sundar Subramanian
AGRICULTURE COACHING CHANDIGARH
AGRICULTURE COACHING CHANDIGARH
★ IPS KAMAL THAKUR ★
ग़ज़ल(चलो हम करें फिर मुहब्ब्त की बातें)
ग़ज़ल(चलो हम करें फिर मुहब्ब्त की बातें)
डॉक्टर रागिनी
“तड़कता -फड़कता AMC CENTRE LUCKNOW का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम” (संस्मरण 1973)
“तड़कता -फड़कता AMC CENTRE LUCKNOW का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम” (संस्मरण 1973)
DrLakshman Jha Parimal
लिखना पूर्ण विकास नहीं है बल्कि आप के बारे में दूसरे द्वारा
लिखना पूर्ण विकास नहीं है बल्कि आप के बारे में दूसरे द्वारा
Rj Anand Prajapati
*
*"बसंत पंचमी"*
Shashi kala vyas
इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
बेवजह ख़्वाहिशों की इत्तिला मे गुज़र जाएगी,
बेवजह ख़्वाहिशों की इत्तिला मे गुज़र जाएगी,
शेखर सिंह
महफ़िल में कुछ जियादा मुस्कुरा रहा था वो।
महफ़िल में कुछ जियादा मुस्कुरा रहा था वो।
सत्य कुमार प्रेमी
प्रेम स्वप्न परिधान है,
प्रेम स्वप्न परिधान है,
sushil sarna
अध्यापिका
अध्यापिका
Shashi Mahajan
4544.*पूर्णिका*
4544.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यह नफरत बुरी है ना पालो इसे
यह नफरत बुरी है ना पालो इसे
VINOD CHAUHAN
"जीवन का सच्चा सुख"
Ajit Kumar "Karn"
राम तुम्हारे नहीं हैं
राम तुम्हारे नहीं हैं
Harinarayan Tanha
*संवेदना*
*संवेदना*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
To realize the value of one year: Ask a student who has fail
To realize the value of one year: Ask a student who has fail
पूर्वार्थ
भीगी पलकें( कविता)
भीगी पलकें( कविता)
Monika Yadav (Rachina)
चलना था साथ
चलना था साथ
Dr fauzia Naseem shad
" एक थी बुआ भतेरी "
Dr Meenu Poonia
बादलों की उदासी
बादलों की उदासी
Shweta Soni
5. इंद्रधनुष
5. इंद्रधनुष
Rajeev Dutta
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
Chaahat
प्रेम
प्रेम
Acharya Rama Nand Mandal
हँसते हैं, पर दिखाते नहीं हम,
हँसते हैं, पर दिखाते नहीं हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चुरा लेना खुबसूरत लम्हें उम्र से,
चुरा लेना खुबसूरत लम्हें उम्र से,
Ranjeet kumar patre
भारत के जोगी मोदी ने --
भारत के जोगी मोदी ने --
Seema Garg
Loading...