लाइब्रेरी की दीवारों में, सपनों का जुनून
लाइब्रेरी की दीवारों में, सपनों का जुनून
सुबह से ही लाइब्रेरी की राह,ज्ञान की ज्योति जलाने की चाह।
किताबों के ढेर में खोकर,धड़कता है सपनों का वो फूल।।
हर पन्ना एक नई कहानी,हर शब्द एक नया जहान।
इतिहास के झरोखे से झांकना,भविष्य के सितारों को छूना।।
पढ़ाई में डूबे रहना,हर मुश्किल को हरा देना।
थकान मिटाकर,हौसला बढ़ाना,सपनों को मंजिल तक पहुंचाना।।
कभी-कभी लगता है,हार मान लूं, थक गया हूँ।
पर फिर याद आते हैं वो सपने,जिनके लिए लगाए हैं मैंने ये पनने।।
माँ-बाप की उम्मीदें,अपनी भी किस्मत संवारनी है।
इस लाइब्रेरी की दीवारों में,एक नया इतिहास लिखनी है।।
तो फिर हौसला रख यारो,मंजिल दूर नहीं है।
मेहनत का फल जरूर मिलेगा,सपनों का सूरज जरूर चमकेगा।।