” लाइक के महारथी “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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इन यंत्रों के माध्यम से हम धुरंधर योद्धा तो बन गए ! हमने सारी विधाओं को अपना लिया ! कभी हम फेसबुक के रंगमंचों पर अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन करते हैं ……व्हाटप्प के पन्नों पर हमारी उँगलियाँ खूब चलती हैं …..मैसेंजर पर अधिकतर हम अपने अंगूठे का प्रयोग खूब करते हैं …और यदा कदा उधार के पोस्टों से लोगों पर प्रहार करने से नहीं चूकते !…….बस विडिओ कालिंग के तो हम महारथी बन गए हैं !…….हम यह क्यों सोचें कि जिन्हें हम विडिओ कॉल कर रहे हैं वे किस अवस्था हैं ?…….कहीं वे अपने गांडीव ….कवच….. कुण्डल ….उतार कर अपनी दिनचर्या में तो नहीं लग गए हैं ?….इसके अतिरिक्त और भी हम छद्म युद्ध की भंगिमाओं से अवगत हैं !……हमारी ललक अब विश्व विजयी बनने की है !……अपने अश्वमेघ रथ को चरों दिशाओं में हमने छोड़ रखा है !……हम लोगों को दिखलाना चाहते हैं कि हमारे फेसबुक में कितने योद्धाओं का समावेश हो गया ?…. हम एक विशाल सैन्य संगठन बनाना चाहते हैं!……. हमें नेपोलियन बनना है ……पर नेपोलियन अपने विशाल सैन्य संगठन का सेनापति होने के अतरिक्त वह प्रत्येक सैनिकों का नाम लेकर ही पुकारा करता था !…….हम तो फेसबुक के पन्नों में इतने मित्र बना डाले कि कभी- कभी प्रायः बाजार में मिलनेपर पहचान भी नहीं पाते !…….. नयी मित्रता की कड़िओं में जुड़ने के बाद टाइम लाइन पर कुछ लिखने की परंपरा है ……हम उन्हें कितने प्रयत्नों से कुछ लिखते हैं….और उसे भी सिर्फ लाइक कर देते हैं !……लाइक का तो मानो बरसात होने लगती है !……लाइक को हम गोरिल्ला -युध्द ही मानेंगे !…..प्रायः -प्रायः हम उनकी बातों को नजर अंदाज कर देते हैं !……………आपकी टिप्पणिओं की चाहत दूसरी ओर रहती है ……..और हम अकर्मण्य बने फिरते हैं !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत