लहर-लहर दीखे बम लहरी, बम लहरी
लहर-लहर दीखे बम लहरी, बम लहरी
सारी दुनिया है भोले एक शरण तेरी
लहर-लहर दीखे……
कण-कण में ओ भोले, तू है समाया
जो कुछ भी हूँ आज, तुझी से है पाया
कयोंकि तुझी पे ही आँखें सबकी ठहरी
लहर-लहर दीखे……
तू ही इक काशी है, तू ही इक काबा
है तुझसे बड़ा ना, कोई जग में बाबा
तू ही तो भोले सबका है इक प्रहरी
लहर-लहर दीखे……
–महावीर उत्तरांचली