*** लहरों के संग….! ***
“” समुद्र के तट पर…
लहरों के अजनबी शोर तरंग संग…!
दुनिया से बेख़बर मीत उमंग…!!
मतवाले नंद किशोर…
कभी सुखी, कभी गीली रेत पर…!
सांसों से बंधी ये बंधन के डोर…
बादलों की सेज पर,
बढ़ रही अल्हड़ मन, जीवन की ओर…!
कुछ तम्मन्ना लिए, जैसे कोई मतंग चीत चोर…!!
समुद्र की लहरों सा…
बहता कभी निर्बाध निरंतर…!
तो कभी निर्मल स्थिर सा नीर…!!
लहरों के संग…
दुनिया से बेख़बर मीत उमंग…! “”
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* बी पी पटेल *
बिलासपुर (छ.ग.)
०९ / ०३ / २०२४