” लहरें करे किलोल ” !!
गीत
मैं तनहा , सागर तनहा ,
लहरें करे किलोल !!
गहराई नीचे अनन्त ,
गहराई ऊपर अनन्त !
थाह कहाँ पाना सम्भव ,
मन डोले है दिग दिगन्त !
रहा मौन पल तोल !!
साध रहे तन मन अपना ,
भूल गये सारी रटना !
चाह अधूरी कसक जगे ,
कोरा कोरा है सपना !
दुनिया करे मख़ौल !!
सब कुछ है पर पास नहीं !
शून्य बसा है यहीं कहीं !
खोज सत्य की आज चहें ,
पैर टिके हैं कहीं नहीं ,
लगे आज भू गोल !!
हम कितने हैं गलत सही ,
मथते हैं जी रोज़ दही !
मंजिल पास नहीं दिखती ,
दूर लक्ष्य है अभी कहीं !
खुद को रहे टटोल !!
बृज व्यास