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7 Dec 2017 · 1 min read

लल्ला

____________लल्ला______________
मुरली का संगीत है पसरा
वृन्दा व वरसाने में
तड़प रही है तेरी मईया
लोहे की चार दिवारों में !!

रो-रोकर सूखी हैं आँखें
बस एक बूँद बची है कान्हा
छू लो आकर, उसको बाबू
मेरा जनम सफल हो माना !!

दर्शन हो! कहती हैं आँखें
कुछ तो लाज रखो कान्हा
जन्म दिया है, मैंने तुझको
माँ की आस तुम्हीं हो कान्हा !!

जन्म दिया पर, छू न पाई
पास न थी, ममता अकुलाई
छाती से भी, दूध न उतरा
और तू शेष, पर से उभरा
बस यह याद रखो कान्हा
माइ हो ! कह कर पास बुला कान्हा !!

आठ आठ बच्चों की माँ मैं
पर न किसी का सिर चूमा
न हाथ छुएं न प्यार किया
न देख सकी उनको जी भर कर
आँसू आँखों का सखा पुराना !!

तड़प तड़प कहती है ममता
मेरा पुत्र यशश्वी हो
वसुधा में जिसने पाप है घोला
धर्म हो तू ! संहार करो !
निष्काम करो, निस्वार्थ करो,
परमार्थ करो, धर्माथ करो !!

आकाश सिन्हा अर्श

Language: Hindi
427 Views
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